क्यों मनाते हैं भाई दूज? कैसे हुई थी इस त्योहार की शुरुआत, क्या है पौराणिक कथा दिवाली के ठीक तीन दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इस साल भाई दूज 15 नवंबर के दिन पड़ रहा है. भाई दूज के दिन बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं. दिवाली के ठीक तीन दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इस साल भाई दूज 15 नवंबर के दिन पड़ रहा है. रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी भाई बहन का त्यौहार है. इस दिन सभी बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और साथ ही व्रत भी करती हैं जिस तरह रक्षाबंधन पर बहनें भाई की कलाई पर धागा बांधती है उसी तरह, भाई दूज के दिन भी बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं. दिवाली के साथ भाई दूज का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. सभी जगह पर इसे मनाने की अलग अलग मान्यता है. जहां उत्तरी भारत में बहनें भाईयों को तिलक और अक्षत लगाकर नारियल का गोला भेंट में देती हैं तो वहीं, पूर्वी भारत में शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ भी उपहार देने की मान्यता है. इस दिन बहने अपने भाईयों की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और भाई को भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलती हैं. क्यों मनाया जाता है भाई दूज?भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन कराने की धार्मिक मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और यमराज का भय नहीं रहता है.
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