वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का परीक्षा
विभाग अपनी कार्यशैली को लेकर हर बार सुर्खिया बटोर रहा है। निजी एजेंसी एवं प्रबधन की लड़ाई में भोजपुर, बक्सर, रोहतास एवं कैमूर जिले अतगंत महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं मार्कशीट के लिए भटक रहे हैं। नियमों को अनदेखा कर परीक्षा विभाग विगत कुछ बर्षों से टी आर पर ही परीक्षा ले रहा है। परीक्षा विभाग सत्र को नियमित करने के लिए एक साथ नामांकन और परीक्षा फॉर्म भरा कर परीक्षा सचालित करा रहा है। ताकि रिजल्ट प्रकाशित कर सत्र को नियमित किया जा सके। विश्वविद्यालय द्वारा सत्र को नियमित करने के लिए ओएमआर शीट पर परीक्षाए सचालित की जाती है। रिजल्ट प्रकाशित भी कर दिया जाता है परंतु छात्र
छात्राओं को रिजल्ट का मार्कशीट नहीं दिया जाता है। स्नातक सत्र, 2017-20 के पार्ट 2 और सत्र, 2018-21 पार्ट-1 और पीजी सेमेस्टर थर्ड और फोर्थ के आलावा विभिन्न वोकेशनल कोर्स के विद्यार्थिया को मार्कशीट अभी तक नहीं मिला हैं। लगभग दो वर्षों से परीक्षा विभाग द्वारा टी आर पर ही परीक्षाएं संचालित की जा रही है ऐसा लगता है कि परीक्षा विभाग द्वारा टी आर पर परीक्षा लेने की प्रथा बन गई है। मार्कशीट की माग किये जाने पर न तो विबि और न ही महाविद्यालय के प्राचायं इसका जवाब दें पाते हैं। परीक्षा नियंत्रक डॉ अनचर इमाम ने बताया कि पूर्व में अंक पत्र नहीं मिलने का कारण एग्जाम भी था। हालांकि एग्जाम से जिन परीक्षाओं का कार्य लिया गया है उसका अंक पत्र मांग लिया गया है। जल्द ही इसे भेजा जायेगा। इसमें सत्र , 2017-20 के पार्ट बन परीक्षा का अंक पत्र शामिल है।
इन परीक्षाओं का अभी तक नहीं मिला है विद्यार्थियों को मार्कशीट
वीर कुंबर मिंह विश्वविद्यालय परीक्षा लेने के बाद मार्क्ससीट देना ही भूल गया है। तभी तो बिगत कई वर्षों के विद्यार्थियों को अक पत्र नहीं मिल रहा है। इसमें स्नातक सत्र 2017-20 के पार्ट टू और सत्र 2018-21 पार्ट बन और पीजी सेमेस्टर थर्ड और फोर्थ के आलाबा विभिन्न बोकेशनल कोर्स के बिद्यार्थिया को मार्क्सशीट अभी तक नहीं मिला हैं। इसके कारण छात्र छात्राएं विश्वविद्यालय और कॉलेज का चक्कर कारते हैं। कभी नया कैंपस तो कभी पुराने कैंपस की दौड़ लगाने हैं। हर थककर दूसरे जिले के विद्यार्थी दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं।
स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक के कई सत्रों के मार्क्सशीट बनाने की जिम्मेदारी एजेंसी को सौंपी गई थी। एजेंसी की ओर से बताया गया कि उसकी कंपनी का 81 लाख रुपये विश्वविद्यालय प्रबंधन पर बकाया है। जिसके कारण उसने अक् पत्र बनाने से इंकार कर दिया था। वही विश्वविद्यालय का पक्ष है कि पत्र के इस मामले को हल कर दिया गया है,लेकिन अंक पत्र विद्यार्थिया को मिलना बाकी है।
बीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का परीक्षा विभाग अभी हाल के दिनों में पीजी सेमेस्टर टू एवं थर्ड का परीक्षा फार्म टी आर पर भरा रहा है। यह परीक्षा फॉर्म 29 अप्रैल तक विभिन्न पीजी विभाग एवं महाविद्यालयों में भरा जा रहा है। पीजी सेमेस्टर बन एबं टू का परीक्षा हुए हैं विगत 6 माह से अधिक का समय गुजर चुका है परतु अब तक इसका अंकपत्र विद्यार्थियों को नहीं मिल सका है। मार्क्समीट नहीं मिलने की शिकायत कुलपति प्रो प्रो देबी प्रसाद तिवारी के पास पहंच चुकी है। यह बातें जानने के बाद कुलपति उस बक्त भौचक रह गये थे। उन्होंने तुरंत परीक्षा नियंत्रक डॉ अनवर इपाम से इसकी जानकारी ली और फौरन विभिन्न सत्रों के विद्यार्थियों को अंक पत्र निर्गत करने का आदेश दिया था। बावजुद इसके अंक पत्र निर्गत नहीं हो सका है।
कोरोना को दूसरी लहर में युवाओं खासकर विद्यार्थियों में तनाव देखा जा रहा है। कॉलेज बंद होने और घर बैठने से विद्यार्थो काफो तनाव में हैं। इधर, संक्रमण के हर जगह बढ़ गये आंकड़ा से भी विद्यार्थियों की मानसिक परंशानों बढ़ रही है। विद्यार्थियों का तनाव दूर करने और उनका मार्नासक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के एनएसएस नोडल अधिकार प्रो केसी चौधरी ने तनाव दूर करने का निणंय लिया है। उन्होंने अपना नंबर जारी कर सभी कॉलेजों के छात्रों के लिए मेंटल हेल्थ काउंसिलिंग शुरू कर दी है।
एसबी कॉलेज आरा के मनाविज्ञान के विभागाध्यक्ष सह राष्ट्रीय सेवा योजना के नोडल सह कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ कृष्ण चंद्र चौधरी ने बताया कि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य, दुःख, भय, डर, अकेलेपन, चिंता, अनिश्चितता, निराशा, दबाव, तनाव प्रबंधन, मनोसामाजिक सरकार और जरूरतमंद लोगों की समस्या दूर की जायेगी। बताया कि वे कोबिड-19 के काल में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं मनोसार्माजिक सहायता देते रहे उन्होंने बताया कि चिंता व तनाव वर्तमान जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। मानसिक तनाव हो स्वास्थ्य का दुश्मन है। तनाव की अवस्था में व्यक्ति मंप्रायः चिता, डर, आशंका व घबराहट उन्पन्न होती है, जो भावनाओं के आदान-प्रदान से कम किया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से उम्मीद, धैर्य व सकारात्मक भाव रखने की अपील की।
कहा कि इससे समायोजन व परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को ढालने की क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित रूप से करने का आह्वान किया। कहा कि इस बिकट परिस्थिति से उत्पन्न मानसिक दबाव से निकलने मे मनोवैज्ञानिक सहायता सहायक सिद्ध होता है। साकारात्मक सोच व रचनात्मक क्रियाकलापों को अपना कर दबावपुर | स्थिति से बाहर निकला जा मकता है। केवल दृढ़ इच्छार्शक्त और हम की भावना के साथ प्रयासरत रहने की आवश्यकता है।
डॉ चौधरी मनोधिज्ञानी होने के नाते मानसिक रूप से 24 गुणा सात समाज की भलाई के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपना मोबाइल और व्हाट्सएप नबर 7000595919 सार्वजनिक कर
दिया है ताकी कोबिड-19 और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी के लिए संपर्क कर सकें, ताकि ज़रूरतमंदों को तत्काल मदद मिल सके।
डॉ चौघरी शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पहल पर मनोदर्पण और स्वास्थ्य मनोविज्ञान की भाग्तोय अकादमी एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आग के तहत स्कुलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रछात्रओं को दशव्यापी आउटरीच के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन में भी अपना योगदान दे रहें हैं।
इसमें मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक-सामाजिक मुद्दों को दूर करने के लिए टेली-काउंसलिंग प्रदान की जाती है। बताया कि इसमें ज्यादातर अकादमिक और करियर संबंधी मुद्दों से संबंधिन प्रश्न विद्यार्थी पुछते हैं। मालम हो कि पिछले साल कोगेना महामारी काल में लॉकडाउन में एमएचआरडी और यूजीसी ने काउंसलिंग के लिए. निर्देश दिया था।